
Ashawini Mudra
अश्विनी मुद्रा:-
विधि:-
इस आसन को आप दो तरह से कर सकते है। दोनों में कोई खास परिवर्तन नहीं है। बस कुच्छ नॉर्मल बदलाव हैं। जानिए कों से तरीके से आपको आसान लगता है।
First Process: इसे करने के लिए कागसन की अवस्था में बैठना होता है यानी जिस तरह से आप टायलेट में बैठते हैं। फिर गधद्वार को खींचकर मूलबंध की पोज़िशन में थोड़ी देर रहें और फिर ढीला छोड़ दें। इस प्रोसेस को लगातार जारी रखें जब तक आप इसे आसानी से यथाशक्ति कर पाएं और फिर कुच्छ देर आराम पूर्वक बैठ जाएँ।
Second Process: इस प्रोसेस में कुच्छ बदलाव है। इसे करने केलिए आपको ज़मीन पर कंबल या चटाई बिछाकर सिर को पूर्व दिशा में रखें। अब साँस को बाहर निकालें और पेट को 2-5 बार अंदर बाहर करें और योनि संकुचन विस्तारण 25 बार करें। इसके बाद फिर साँस लें फिर इसे बाहर छोड़ें और शौंछ जाने की जगह को अंदर बाहर करें। इस प्रोसेस को आप अपनी शक्ति के अनुसार कर सकते है।
अश्विनी मुद्रा से लाभ:-
- इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से गुदा के सभी रोग ठीक होते हैं और शरीर की ताक़त बढ़ती है।
- यह मुद्रा नपुंकसकता को दूर करती है और शीघ्रपतन की समस्या को रोकने में एफ्फेक्टिव है।
- घोड़ा मे इतनी शक्ति और फुर्ती इसी एक्सर्साइज़ की मुद्रा के कारण होती है। इस प्रोसेस को करने के परिणाम आप जान ही गये होंगे।
- इस मुद्रा को करने से उम्र बढ़ती है। ऐसा भी कहा गया जाता है की इसके अभ्यास से कुण्डलिनी का जागरण भी होता है।
- इस आसन को करने से दिमाग़ तेज होता है और साथ ही बवासीर और कब्ज की समस्या चुटकी में दूर होती है।
इस प्रोसेस को आप अपनी शक्ति के अनुसार करें। ज़्यादा खिचतानी करने से कोई फायदा नहीं मिलेगा। इस मुद्रा को एक दिन एक एक दिन करके करो और योग जानने के लिए आप सर्च बॉक्स से सर्च कर सकते है। हमारे साथ आप फ़ेसबुक, गूगले प्लस पर भी जुड़ सकते है। आपको रोजाना नयी चीज़े मिलेगी।