
योनि मुद्रा
योनि मुद्रा क्या है
योनि मुद्रा को इस तरीके से परिभाषित किया जा सकता है कि यह मुद्रा एक ऐसी मुद्रा है जो किसी व्यक्ति को बाहरी दुनिया के शोरगुल या उथल पुथल से अलग कर देती है। योनि संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ कोख (womb) या गर्भाशय (uterus) होता है। इस मुद्रा को योनि मुद्रा इसलिए कहा जाता है क्योंकि जो व्यक्ति नियमित रुप से इस मुद्रा का अभ्यास करता है उसका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रहता है और वह गर्भाशय में एक बच्चे की तरह खुद को महसूस करता है। योनि मुद्रा को भ्रमरी प्राणायाम (Bhramari pranayama) और शंमुखी मुद्रा (Shanmukhi mudra) भी कहा जाता है। भ्रमरी का अर्थ मधुमक्खी की तरह आवाज निकालना। वास्तव में इस मुद्रा में मधुमक्खी की तरह आवाज निकाली जाती है।
योनि मुद्रा करने का तरीका
- सबसे पहले जमीन पर चटाई बिछाएं और पदमासन या फिर किसी अन्य ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं।
- अपनी पीठ की मांसपेशियों को एकदम सीधे रखें और पेट एवं पीठ को किसी भी तरह से लचीला ना करें।
- मन को शांत रखें और दोनों आंखों को बंद कर लें।
- इसके बाद अपने दोनों अंगूठे को दोनों कान पर रखें और तर्जनी उंगली को आंख की पलकों पर टिकाएं।
- मध्यमा उंगली को नासिका के ऊपर रखें।
- रिंग फिंगर को होठों के ऊपर और छोटी ऊंगली को होठों के नीचे रखें।
- इसके बाद यह सुनिश्चित करें कि आपकी कोहनी आपके कंधे के एकदम बराबर एवं सीधी रेखा में हो।
- अब गहरी सांस लें और अपनी मध्यमा उंगली से नासिका को बंद कर लें।
- कुछ क्षण के लिए रुकें और नासिका को आधा बंद रखकर दबाव को थोड़ा कम करें और धीरे धीरे मधुमक्खी की आवाज के साथ सांस को छोड़ें।
- सांस छोड़ते समय आपके चेहरे के विभिन्न हिस्सों में कंपन होना चाहिए, विशेषरुप से जहां आपने अपनी उंगलियों को रखा है।
- एक बार सांस छोड़ने के बाद दोबारा से सांस खींचने के लिए थोड़ी देर प्रतीक्षा करें। इस अवधि के दौरान एकदम शांत रहें और अपने शरीर की सभी संवेदनाओं एवं भावनाओं को महसूस करें।
- इस मुद्रा को नियमित रुप से करें और यदि संभव हो तो सुबह के समय करें। दिन में भी इसे किया जा सकता है।
लेकिन आप जितना अधिक शांत वातावरण में बैठकर इस मुद्रा का अभ्यास करेंगे, आपको उतना ही अधिक फायदा भी होगा।
योनि मुद्रा के फायदे
माना जाता है कि योनि मुद्रा एक ऐसी मुद्रा है जिसमें शांत मन से सांस छोड़ने लेने और सांस पर केंद्रित होने की क्रिया की जाती है। इस कारण से यह शरीर को आंतरिक शांति प्रदान करने में फायदेमंद है। इसके अलावा भी योनि मुद्र करने के अन्य कई फायदे हैं। आइये जानते हैं इन फायदों के बारे में।
डिप्रेशन के लिए योनि मुद्रा के फायदे
यह मुद्रा हर उम्र के लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है। नियमित रुप से योनि मुद्रा का अभ्यास करने से मस्तिष्क में अच्छे रसायन का स्राव होता है। इसके अलावा शरीर से भी विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं जिसके कारण मन हल्का लगता है। योनि मुद्रा का अभ्यास करने से कॉर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन का स्तर घटता है जिसके कारण तनाव, चिंता, डिप्रेशन, नींद न आने की समस्या, नकारात्मक विचार, चिड़चिड़ापन आदि समस्याएं दूर हो जाती हैं। यही कारण है कि आज के समय के अनुसार योनि मुद्रा बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है।
योनि मुद्रा के फायदे मानसिक शांति के लिए
आमतौर पर योग एवं आसन आध्यात्म से जुड़ा हुआ होता है जिसके कारण इसके फायदे बढ़ जाते हैं। माना जाता है कि रोजाना योनि मुद्रा का अभ्यास करने से व्यक्ति को मानसिक रुप से शांति मिलती है और परमात्मा से मिलन का रास्ता खुलता है। यह आसन करने से व्यक्ति खुद की आंतरिक कमियों एवं शक्तियों को पहचानने में सक्षम होता है जिसके कारण वह आध्यात्मिक रुप से बहुत शांत महसूस करता है। इसके अलावा उसके मन में नकारात्मक विचार नहीं आते हैं और गुस्सा भी कम होता है।
तंत्रिका तंत्र के लिए योनि मुद्रा के फायदे
वास्तव में योनि मुद्रा एक ऐसा आसन है जिसमें आंखों को बंद रखकर श्वास लेने और छोड़ने की क्रिया की जाती है। इसकी वजह से व्यक्ति का तंत्रिता तंत्र मजबूत होता है और शरीर के अंदर जमा अनावश्यक पदार्थ बाहर निकलते हैं। यह आसान करने के बाद मांसपेशियों में जकड़न महसूस नहीं होती है और एक आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है एवं मन प्रसन्न रहता है।
योनि मुद्रा के फायदे मेडिटेशन के लिए
आमतौर पर योनि मुद्रा को मेडिटेशन का एक रुप माना जाता है। योनि मुद्रा किसी भी चिंतन से कम नहीं है और इसके फायदे भी मेडिटेशन की तरह ही होते हैं। जो व्यक्ति नियमित रुप से योनि मुद्रा का अभ्यास करता है उसे आत्मकेंद्रित (focus ) होने में परेशानी नहीं होती है। विद्यार्थियों के लिए यह मुद्रा बहुत ही उपयोगी है। इसके अलावा जिन लोगों का काम में मन नहीं लगता है या भटकाव का अनुभव होता हैं उन्हें जरूर योनि मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए।
योनि मुद्रा करने के फायदे ऊर्जा के लिए
माना जाता है कि योनि मुद्रा करने से शरीर का कायाकल्प होता है और व्यक्ति के अंदर एक नयी तरह की ऊर्जा का संचार होता है। इस मुद्रा में श्वास लेने और छोड़ने की प्रक्रिया बेहद अहम होती है और इसी क्रिया से व्यक्ति को फायदे भी होते हैं। यह मुद्रा उन लोगों के लिए बेहद उपयोगी है जो लोग एक्टिव नहीं होते हैं, सुस्ती का अनुभव करते हैं या फिर जल्दी थक जाते हैं। ऐसी स्थिति में योनि मुद्रा का अभ्यास करने से शरीर ऊर्जा से भर जाता है।
प्रजनन के लिए योनी मुद्रा के फायदे
कई बीमारियों के उपचार का समर्थन करने और शरीर, मन और आत्मा में सद्भाव लाने के लिए उनका उपयोग हजारों वर्षों से किया जाता रहा है। योनी मुद्रा- यह हाथ की यह स्थिति महिलाओं को एक सहज महिला ऊर्जा के संपर्क में लाने में मदद करती है। यह भी गर्भ और रचनात्मक शक्ति को प्रोत्साहित करने के लिए जानी जाती है। हाथ की स्थिति वास्तव में योनी की तरह दिखती है। हाथों को एक साथ लाते हुए, बाकी उंगलियों का जुड़ाव करते हुए अंगूठे और पॉइंटर उंगलियों के टिप्स एक दूसरे को छूते हैं।