
गाय के घी के फायदे
देसी गाय के घी को रसायन कहा गया है जो जवानी को कायम रखते हुए बुढ़ापे को दूर रखता है। गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है। गाय के घी में स्वर्ण छार पाए जाते हैं जिसमें अदभुत औषधीय गुण होते हैं जो गाय के घी के इलावा अन्य घी में नहीं मिलते।गाय के घी से बेहतर कोई दूसरी चीज नहीं है। गाय के घी में वैक्सीन एसिड, ब्यूट्रिक एसिड, बीटा-कैरोटिन जैसे माइक्रोन्यूट्रींस मौजूद होते हैं जिस के सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। गाय के घी से उत्पन्न शरीर के माइक्रोन्यूट्रींस में कैंसर युक्त तत्वों से लडऩे की क्षमता होती है। यदि आप गाय के 10 ग्राम घी से हवन अनुष्ठान (यज्ञ) करते हैं तो इसके परिणाम स्वरूप वातावरण में लगभग 1 टन ताजा आक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने की तथा धार्मिक समारोह में यज्ञ करने की प्रथा प्रचलित है। इससे वातावरण में फैले परमाणु विकिरणों को हटाने की अदभुत क्षमता होती है।
गाय के घी के अन्य महत्त्वपूर्ण उपयोग:-
– गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
– गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
– गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
– 20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांजे का नशा कम हो जाता है।
– गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना आपरेशन के ही ठीक हो जाता है।
– नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाता है।
– गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लौट आती है।
– गाय का घी नाक में डालने से बाल झडऩा समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते हैं।
– गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है और याददाश्त तेज होती है।
– हाथ पाव में जलन होने पर गाय के घी की तलवों में मालिश करें जलन ठीक होती है।
– हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाएं। हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
– गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
– गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है
– गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
– अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
– गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।
– जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाई खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं। हृदय मजबूत होता है।
– देसी गाय के घी में कैंसर से लडऩे की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
– संभोग के बाद कमजोरी आने पर एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच देसी गाय का घी मिलाकर पी लें। इससे थकान बिलकुल कम हो जाएगी।
– फफोलों पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।
– सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें। ऊपर से जितना गुनगुना पानी पिला सकें, पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।
– दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ठीक होता है। सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करें। सर दर्द ठीक हो जायेगा।
– यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कोलेस्ट्राल नहीं बढ़ता। वजन भी नहीं बढ़ता बल्कि यह वजन को संतुलित करता है अर्थात कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।
– एक चम्मच गाय के शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
– गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट लें और फिर घी को पानी से अलग कर लें। यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करें और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक मलहम की तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं। यह सोराइसिस के लिए भी कारगर है।
– एक अच्छा कोलेस्ट्राल है। उच्च कोलेस्ट्राल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा टानिक भी है। अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार,नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को संतुलित करता है।
– घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्र में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रात: खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा कुनकुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है।
– गाय का घी और चावल की आहुति डालने से महत्त्वपूर्ण गैसें जैसे – एथिलीन आक्साइड, प्रोपिलीन आक्साइड, फार्मल्डीहाइड आदि उत्पन्न होती हैं। इथिलीन आक्साइड गैस आजकल सबसे अधिक प्रयुक्त होनेवाली जीवाणुरोधक गैस है जो शल्य-चिकित्सा (आपरेशन थियेटर) से लेकर जीवनरक्षक औषधियाँ बनाने तक में उपयोगी हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार अनिद्रा का रोगी शाम को दोनों नथुनों में गाय के घी की दो-दो बूंद डाले और रात को नाभि और पैर के तलुओं में गोघृत लगाकर लेट जाय तो उसे प्रगाढ़ निद्रा आ जायेगी।
– गोघृत में मनुष्य शरीर में पहुंचे रेडियोधर्मी विकिरणों का दुष्प्रभाव नष्ट करने की असीम क्षमता हैं। अग्नि में गाय की घी की आहुति देने से उसका धुआँ जहाँ तक फैलता है, वहाँ तक का सारा वातावरण प्रदूषण और आणविक विकरणों से मुक्त हो जाता है। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि एक चम्मच गोघृत को अग्नि में डालने से एकटन प्राणवायु (आक्सीजन) बनती हैं जो अन्य किसी भी उपाय से संभव नहीं है।