गाय के दूध के फायदे

गाय के दूध के पौष्टिक तत्व गाय के दूध के फायदे जानने के साथ ही इसमें मौजूद पोषक तत्वों को जान लेना भी जरूरी है। नीचे दिए गए टेबल में हम आपको बताएंगे प्रति 100 ग्राम गाय के दूध में कितनी मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम ऊर्जा … Read more

गरुड़ासन

गरुड़ासन क्या हैं गरुड़ासन शब्द एक संस्कृत भाषा का शब्द है जो कि दो शब्दों से मिलके बना है जिसमे पहला शब्द “गरुड़” जिसका अर्थ “ईगल” हैं और दूसरा शब्द “आसन” हैं जिसका अर्थ “पोज़” हैं। भारतीय पौराणिक कथाओं से पता चलता है कि गरुड़ सभी पक्षियों का राजा था। इस पक्षी ने न केवल … Read more

कुंजल क्रिया

कुंजल क्रिया के लाभ इस क्रिया के अभ्यास से तीन अंगों को लाभ मिलता है- पहला जिगर (लिवर), दूसरा हृदय (हार्ट) और तीसरा पेट की आंते (इंटेस्टाइन)। इस क्रिया को करने से व्यक्ति शरीर और मन में बहुत ही अच्छा फिल करता है। व्यक्ति में हमेशा प्रसंन्न और स्फूति बनी रहती है। इस क्रिया को … Read more

जलनेति

जलनेति में नासिका मार्ग की सफाई हेतु जल का प्रयोग होता है। यह योग क्रिया आपके पुरे नासिका छिद्र को साफ करने में मदद करता है। इस तरह से जलनेति आपको बहुत सारी बीमारी एवं परेशानियो से बचाता है। जलनेति के लिए एक लम्बी टोटी (नली) लगे लोटे या बर्तन की आवश्यकता होती है। इस … Read more

सूत्रनेति

सूत्रनेति क्या है ? ‘नेति’ हठयोग की क्रिया है जो श्वास मार्ग की सफाई से संबंधित है। इसमें गले की सफाई होती है। प्राणायाम का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए पहले नेति क्रिया करनी चाहिए ताकि श्वास नली सही तरीके से साफ हो जाए। सूत्रनेति में बारीक धागा नाक के एक छेद में … Read more

योनि मुद्रा

योनि मुद्रा क्या है योनि मुद्रा को इस तरीके से परिभाषित किया जा सकता है कि यह मुद्रा एक ऐसी मुद्रा है जो किसी व्यक्ति को बाहरी दुनिया के शोरगुल या उथल पुथल से अलग कर देती है। योनि संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ कोख (womb) या गर्भाशय (uterus) होता है। इस मुद्रा को … Read more

जालंधर बंध

मस्तक को झुकाकर ठोड़ी को कण्ठ-कूप ( कण्ठ में पसलियों के जोड़ पर गड्डा है, उसे कण्ठ-कूप कहते हैं ) में लगाने को जालंधर-बंध कहते हैं। जालंधर बंध से श्वास-प्रश्वास क्रिया परअधिकार होता है। ज्ञान-तन्तु बलवान होते हैं। हठयोग में बताया गया है कि इस बन्ध का सोलह स्थान की नाड़ियों पर प्रभाव पड़ता है। … Read more

उड्डियान बंध

पेट में स्थित आँतों को पीठ की ओर खींचने की क्रिया को उड्डियान बंध कहते हैं। पेट को ऊपर की ओर जितना खींचा जा सके उतना खींचकर उसे पीछे की ओर पीठ में चिपका देने का प्रयत्न इस बंध में किया जाता है। इसे मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाला कहा गया है। जीवनी शक्ति … Read more

मूल बंध

प्राणायाम करते समय गुदा के छिद्रों को सिकोड़कर ऊपर की ओर खींचे रखना मूल-बंध कहलाता है। गुदा को संकुचित करने से ‘अपान’ स्थिर रहता है। वीर्य का अधः प्रभाव रुककर स्थिरता आती है। प्राण की अधोगति रुककर ऊर्ध्वगति होती है। मूलाधार स्थित कुण्डलिनी में मूल-बंध से चैतन्यता उत्पन्न होती है। आँतें बलवान होती हैं, मलावरोध … Read more

Ashawini Mudra

अश्विनी मुद्रा:- विधि:- इस आसन को आप दो तरह से कर सकते है। दोनों में कोई खास परिवर्तन नहीं है। बस कुच्छ नॉर्मल बदलाव हैं। जानिए कों से तरीके से आपको आसान लगता है। First Process: इसे करने के लिए कागसन की अवस्था में बैठना होता है यानी जिस तरह से आप टायलेट में बैठते हैं। फिर … Read more