
उज्जायी प्राणायाम
उज्जायी प्राणायाम क्या है
शब्द “उज्जायी” संस्कृत के उपसर्ग “उद्” और “जि” से बना है: उज्जायी (अजय), जिसका अर्थ है “विजय”, “जो विजयी है”। इस प्रकार उज्जायी प्राणायाम का अर्थ है “विजयी श्वास “।
उज्जायी प्राणायाम करने का तरीका
- किसी भी आरामदायक आसान में बैठ जायें। पूरे शरीर को शिथिल कर लें।
- समान रूप से श्वास लें।
- थोड़ी देर बाद अपना ध्यान गले पर ले आयें।
- ऐसा अनुभव करें या कल्पना करें की श्वास गले से आ-जा रहा है।
- जब श्वास धीमा और गहरा हो जाए तो कंठ-द्वार को संकुचित करें। ऐसा करने पर आपके गले से साँस आने और जाने पर धीमी सी आवाज़ आनी चाहिए।
- अब साँस लंबी और गहरी होनी चाहिए।
- ऊपर बताए गये तरीके से बाएं, दाएं और दोनों नथ्नो के माध्यम से श्वास लेना एक भास्त्रिका प्राणायाम का पूरा चक्र होता है।
- ऐसा 10-20 मिनिट तक करें।
- अगर आपको ज़्यादा देर बैठने में परेशानी हो तो उज्जायी प्राणायाम लेटकर या कड़े हो कर भी कर सकते हैं।
उज्जायी प्राणायाम के फायदे
यह उज्जायी प्राणायाम के कुछ लाभ हैं
- उज्जायी प्राणायाम को शांति प्रदान करने वाले प्राणयामों में वर्गीकृत किया गया है। इस अभ्यास का उपयोग योग चिकित्सा में तंत्रिका तंत्र और मन को शांत करने के लिए किया जाता है।
- आत्मिक स्तर पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
- यह अनिद्रा से छुटकारा पाने में मदद करता है; यह लाभ पाने के लिए सोने से पहले शवासन में इसका अभ्यास करें।
- बिना साँस रोके या बँध का इस्तेमाल किए बिना अगर यह प्राणायाम तो हृदय की गति को धीमा कर देता है और हाई बीपी से पीड़ित लोगों के लिए उपयोगी होता है।
- उज्जय द्रव-धारिता को कम करता है। यह शरीर के सातों धातुओं के विकारों को हटाता है: रक्त, हड्डी, मज्जा, वसा, वीर्य, त्वचा और मांस।
- यह ध्यान केंद्रित शक्ति और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ाता है।
- इसे करने से शरीर स्वस्थ, मजबूत और चमकदार बनता है।
- कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है।
- मोतियाबिंद और साइनस की समस्या, गठिया और माइग्रेन में भी मदद करता है।
- यह दिल के दौरे के खतरे को कम करता है।
- थायराइड की समस्याओं को रोकता है और आवाज को मधुर बनाता है।
- पुरानी सर्दी, खांसी, अपच, जिगर की समस्याओं, बुखार और अन्य बीमारियों में फायदेमंद है।
- अस्थमा की समस्या और अन्य सांस की बीमारियों में बहुत मददगार है।